नक्सली बरसा रहे थे गोलियां, मौत सामने देख कैमरामैन ने बनाया इमोशनल वीडियो

असिस्टेंट कैमरामैन मोर मुकुट शर्मा जंगल में फंसे हुए थे. वो जमीन पर लेटे थे. तभी उन्होंने अपने मोबाइल से ये वीडियो रिकॉर्ड किया. हालात कितने विकट थे, वो वीडियो में कैमरा असिस्टेंट की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है.

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले का वीडियो सामने आया है. ये वीडियो हमले में शहीद हुए डीडी न्यूज़ के कैमरामैन के असिस्टेंट ने रिकॉर्ड किया है. डीडी न्यूज़ के असिस्टेंट कैमरामैन जब ये वीडियो रिकॉर्ड कर रहे थे, ठीक उसी वक्त जंगल में नक्सली मौत का खूनी खेल खेल रहे थे. वीडियो रिकॉर्ड करते समय उऩ्हें बार बार लग रहा था कि जान अब गई कि तब गई. ये वीडियो होश उड़े देने वाला है.

नक्सल प्रभावित इलाके में कॉम्बिंग ऑपरेशन की मीडिया कवरेज के लिए डीडी न्यूज की टीम दंतेवाड़ा गई थी. दंतेवाड़ा का घना जंगल था. नक्सलियों की बंदूकें गोलियां बरसां रही थीं. डीडी न्यूज़ के कैमरामैन अच्युतानंद साहू शहीद हो चुके थे. एक सब इंस्पेक्टर और एक कॉन्स्टेबल भी शहीद हो चुके थे. सामने थे 200 नक्सली. और सुरक्षाकर्मी महज़ 6 -7. वो मंजर न सिर्फ हैरान करने वाला था, बल्कि डर भर देने वाला था.

उसी दौरान असिस्टेंट कैमरामैन मोर मुकुट शर्मा वहां फंसे हुए थे. वो जमीन पर लेटे थे. तभी उन्होंने अपने मोबाइल से ये वीडियो रिकॉर्ड किया. हालात कितने विकट थे, वो वीडियो में कैमरा असिस्टेंट की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है. वीडियो देखकर महसूस किया जा सकता है कि नक्सलियों की बंदूकों से निकलता हुआ बारूद सुरक्षाकर्मियों को शहीद कर देने पर तुला था.

असिस्टेंट कैमरामैन किसी तरह जमीन में घिसटते हुए झाड़ियों की आड़ में खुद को छिपाए हुए थे. वो प्यास से व्याकुल थे. जो माहौल था, उससे देखते हुए असिस्टेंट कैमरामैन को कहीं से नहीं लग रहा था कि वो बच सकते हैं. क्योंकि वो देख रहे थे आधुनिक हथियारों से लैस खुंखार आतंकियों का जत्था.

ये वीडियो असिस्टेंट कैमरामैन मोर मुकुट शर्मा ने इसीलिए शूट किया था, क्योंकि उन्हें लगा था कि अब वो नहीं बचेंगे, उन्होंने बताया कि उस वक्त का माहौल क्या था. सामने मौत देखने के बाद वो बता रहे थे कि वो अपनी मां से बहुत प्यार करते हैं. एकाएक हुए इस भयानक हमले ने दंतेवाड़ा को हिलाकर रख दिया था.

इस दौरान बुधवार को सुरक्षा बल के एक और जवान ने दम तोड़ दिया. अब इस हमले में मारे गए लोगों की कुल संख्या चार हो गई है.

अट्ठाइस साल पहले आज ही दिन अयोध्या में राम मंदिर के लिए पहली बार पांच कारसेवकों की जान गई थी.  बावजूद इसके अभी तक राम मंदिर का निर्माण नहीं हो सका है. हालांकि, इन दिनों हिंदू संगठनों के एक बार फिर राम मंदिर निर्माण को लेकर तेवर सख्त हो गए हैं.

मुलायम सिंह यादव 1990 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. राम मंदिर आंदोलन उफान पर था. बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा पर थे. मुलायम सिंह ने कहा था कि मस्जिद पर परिंदा भी पार नहीं मार सकेगा.

30 अक्टूबर, 1990 को कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ अयोध्या पहुंचने लगी थी. प्रशासन ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा रखा था, इसके चलते श्रद्धालुओं के प्रवेश नहीं दिया जा रहा था. पुलिस ने विवादित ढांचे के 1.5 किलोमीटर के दायरे में बैरिकेडिंग कर रखा था. हालांकि कर्फ्यू को धता बताते हुए हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी पहुंच गए, जो ढांचे के करीब था.

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