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Showing posts from January, 2019

中美贸易谈判前瞻 “谁先眨眼谁成输家”

中美谈判团准备周三(1月30日)开始 一连两天在华盛顿举行经贸谈判,规格是去年12月两国就经贸纠纷“停火”以来最高。 两国代表必须在3月1 日限期前达成共识 ,否则它们之间货物的进出口关税会再被提高 ,我们就会被卷进新一轮的贸易战。 分析认为,北京面对国内不断放缓的经济,越来越需要尽快与美国在贸易问题上达成共识。 中国经济增长放慢 中美贸易战并不是中国经济增长放慢的原因, 但它肯定令情况更差。 中国上周公布的经济数据显示,它国内的增长降至1990年以来最慢,但除了这个数字,中国 的消息者信心和零售数字都在急速下跌。 中国的中小型公司也受订单减少和存货量下跌影响。 中国共产党主要领导人上周一连数天举行研讨班,国家主席习近平在研讨班期间强调必需“增强忧患意识,提高防控能力,着力防范化解重大风险”,被视为习近平“罕有地”承认中共现时 因经济增长放缓影响承受巨大压力。 保持中国的强大,对中共维护自己的执政合法性十分关键。 世界工厂褪色 调查显示,许多在华开设工厂的公司由的开始同 时在其他国家开设工厂 ,由的完全撤离中国。 总部设在香港的亚洲品质检验有限公司(QIMA)早前访问超过100家在华的国际公司,当中有超过30%表示他们会减少依赖“中国制造”。其 中超过75%的公司表示,他们已经在中国以外 的地方找到供应商。 如果这个趋势持续,中国工人的工作就可能会受威胁。摩根大通上周发表报告,指中国工人就业情况是最令人担忧的短期问题。 中国的社会稳定与经济发展密不可分, 中国共产党要取得人民认同,必须为他们实现中国梦。中共对此十分清楚。 华为因素 不论是从商业还是外交角度考虑 ,中美贸易谈判的过程与科技公司华为的命运息息相关。 中国政府经济顾问唐恩(Einar Tangen)对我说, 象征性意义在中国来说十分重要,中方“不相 信巧合”。 他留意到,华为副董事长兼首席财务官(CFO)孟晚舟在加拿大被捕的同一天,习近平刚好在G20峰会与美国总统特朗普碰面, 并同意贸易战暂时停火,让两国官员可以就纠纷开展谈 判,限期为90天。 这个星期除了中美贸易谈判,也是美国向加拿大申请将孟晚舟引渡到美国受审的限期。 唐恩指出,中方认为这两个 日期显示美国尝试利用华为问题,“在中美贸易纠纷谈判上牵制中国”。 美国在另一方面也准备针对华为

वाय चीट इंडिया: टिकट लेकर वेट करते रहे, पर मल्टीप्लेक्स में नहीं चली फिल्म

मल्टीप्लेक्स का मतलब यह नहीं है कि सिनेमा देखने के दौरान का एक्सपीरियंस अच्छा ही अच्छा रहने वाला है. भले ही वो किसी मेट्रो सिटी का ही क्यों न हो. एनसीआर में इमरान हाशमी की वाय चीट इंडिया के मॉर्निंग शोज देखने पहुंचे दर्शकों का अनुभव ठीक नहीं रहा. दरअसल, टिकट काउंटर पर बुकिंग तो हुई पर कंटेंट ही नहीं उपलब्ध था. लिहाजा लोगों को परेशान होना पड़ा, लौटना पड़ा या शो आगे शिफ्ट करना पड़ा. नोएडा के कुछ नामी मल्टीप्लेक्स और थियेटर्स में कुछ ऐसा ही देखने को मिला. वाय चीट इंडिया के मॉर्निंग शोज की स्ट्रीमिंग में परेशानियां हुई. कई मल्टीप्लेक्स में 10 बजे और 10.30 बजे के शो अवेलेबल थे. कुछ की ऑनलाइन बुकिंग नहीं थी. पर कुछ थियेटर्स में काउंटर बुकिंग उपलब्ध थी. नोएडा के सिटी सेंटर के लॉजिक्स मॉल स्थित पीवीआर में भी शुक्रवार सुबह 10 बजे का शो अरेंज था. लेकिन काउंटर पर टिकट नहीं दिए जा रहे थे. जब इस बारे में पूछा गया तो जानकारी मिली कि संबंधित शो के लिए उनके पास कंटेंट ही नहीं आया. यह भी बताया कि हमेशा शुक्रवार के शो के लिए स्पेशल कंटेंट आता है, जो वाय चीट इंडिया के शो के लिए नहीं मिला. पीवीआर के

रामायण से बाबरनामा तक 15 सीलबंद संदूकों में आए अयोध्या के दस्तावेज

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले पर गुरुवार को सुनवाई की और मामले की सुनवाई के लिए 29 जनवरी का दिन तय किया. 29 जनवरी को मामले के लिए गठित सुप्रीम कोर्ट की नई बेंच सुनवाई करेगी. इस दौरान बेंच ने कहा कि रामजन्मभूमि मामले से संबंधित सबूत के दस्तावेज 15 सील ट्रंक सुप्रीम कोर्ट में लाए गए हैं. यह दस्तावेज कई भाषाओं में है. बेंच के मुताबिक 18836 पन्नों के दस्तावेज यहां रखे गए हैं. साथ ही 4304 प्रिंटेड पन्नों का हाईकोर्ट का जेजमेंट भी शामिल किया गया है. बेंच से मिली जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में 15 सीट ट्रंक में मामले से संबंधित दस्तावेज कोर्ट पहुंचाए गए हैं. इन मूल दस्तावेजों को एक कमरे में रखा गया है, जिनमें अरबी, फ़ारसी, संस्कृत, उर्दू और गुरुमुखी में दस्तावेज मौजूद हैं. इसमें बाबर के जमाने से लेकर रामायण के जमाने तक के दस्तावेज इसमें मौजूद हैं. इसके अलावा 250 दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट के सामने सबूत के तौर पर रखे गए हैं. कोर्ट ने कहा है कि सभी मूल दस्तावेजों के अनुवाद की आधिकारिक सत्यता की भी जांच होनी है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकी

जब अचरेकर सर के एक तमाचे ने सचिन को बदल डाला

सचिन तेंदुलकर ने जब दिसंबर, 2013 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया था तो मैच के बाद अपने संबोधन में उन्होंने कोच रमाकांत अचरेकर को कुछ यूं याद किया था, "11 साल का था, तब मेरा करियर शुरू हुआ था. मैं अचरेकर सर को स्टैंड में देखकर बहुत खुश हूं. मैं उनके स्कूटर पर बैठकर दिन में दो मैच खेलने जाता था." "सर मुझे स्कूटर में ले जाते थे ताकि मैं मैच मिस नहीं कर सकूं. आज जब माहौल थोड़ा हल्का है तो मैं बताना चाहता हूं सर ने मुझे कभी नहीं कहा- वेल प्लेड, क्योंकि वे कभी नहीं चाहते थे कि मैं थोड़ा भी लापरवाह हो जाऊं. लेकिन सर अब आप ऐसा कह सकते हैं क्योंकि मैं अब क्रिकेट नहीं खेल रहा हूं." 200 टेस्ट और 463 वनडे में क़रीब 35 हज़ार रन और सौ शतक जमाने वाले क्रिकेटर की इन बातों से शायद आपको अंदाज़ा हो रहा होगा कि रमाकांत अचरेकर क्या आदमी रहे होंगे. लेकिन अंदाज़ा लगाने से पहले उस दौरान रमाकांत अचरेकर क्या कर रहे थे, ये जान लीजिए. तब रमाकांत अचरेकर बीमार थे और कुछ सालों से टीवी पर भी क्रिकेट नहीं देख पा रहे थे. टीवी सेट के सामने भी वे नहीं बैठ पाते थे. बोलने में तकलीफ़ थी. लेकिन घ